सपना
लोग सपने देखते हैं, क्योंकि सपनों पर कोई बंदिश नहीं होती. सपने लोगों को इस दुनिया के पार एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जहाँ कुछ भी असंभव नहीं होता. सपने देखने में कोई कानूनी अड़चन नहीं, कोई सामाजिक बंधन नहीं. इसलिए कुछ लोग ऐसे सपने देखते हैं, जो व्यवहारिक दुनिया में संभव नहीं. अगर इन सपनों को सपने मात्र मानकर लोग व्यवहारिक दुनिया में मस्त रहें तो कोई नुकसान नहीं, पर जब वे उसे हकीकत का रूप देने की कोशिश करने लगते हैं और असफल हो जाते हैं तब परेशानी शुरू होने लगती है. सामान्यतः एक बार की असफलता कोई मायने नहीं रखती, पर सपने देखने वाला मनुष्य ज्यादातर अव्यवहारिक सपने देखता है और सपने के सच नहीं होने पर उसका स्वयं पर से, भगवान पर से और भाग्य पर से विश्वास खो बैठता है. विश्वास की यह कमी अति हानिकारक होती है.
आत्मविश्वास के अभाव में मनुष्य वास्तविक दुनिया से दूर सपनों की दुनिया में खो जाना चाहता है. फलतः उसे नशे का आदि होने में देर नहीं लगती क्योंकि नशे के अंधेपन में मनुष्य को सपनों की दुनिया निकट महसूस होती है. नशे में मनुष्य अपने आप को स्वर्ग का अधिकारी समझने लगता है क्योंकि नशे में उसे कुछ भी असंभव नहीं प्रतीत होता. पर ऐसा मनुष्य यह कभी नहीं जान पता कि स्वर्ग का अधिकारी बनते बनते कब वह स्वर्गवासी बन जाता है. नशे की दुनिया का रास्ता शुरू तो होता है तम्बाकू और सिगरेट की ताज़ी दुनिया से, पर जल्द ही वह शराब के महल में पहुँच जाता है. इस महल के तहखानों से होता हुआ रास्ता drugs की अंधी गलियों में भटक जाता हैं. इन अंधी गलियों में HIV जैसा शानदार मेहमान बसता है. नशे का शिकार मनुष्य न तो मनुष्य की श्रेणी में होता है और न ही जानवर की श्रेणी में. वह कदापि सही निर्णय लेने में सफल नहीं होता.
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